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अँधेरे से झाँकती एक मुकम्मल शक्ल...

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          अपने समय की नब़्ज पहचाने वाले सशक्त लेखकों में ज्योति चावला का गिना जाना, उनके कहानी-संग्रह ‘ अँधेरे की कोई शक्ल नहीं होती ’ पढ़कर स्वतः ही सिद्ध हो जाता है। यूँ तो चावला अपनी कविताओं से साहित्य जगत् में लोकप्रिय हुई हैं, किंतु उनकी कहानियाँ भी अनेक भाषाओं में अनूदित होकर ख़ूब चर्चित हो रही हैं। इनकी कहानियाँ स्त्री-जीवन के आंतरिक सत्य तक न केवल पहुँचती हैं, बल्कि उससे सामाजिक को इस तरह परिचित कराती हैं कि वह अपने आसपास ही इन पात्रों को महसूस करने लगता है। 2014 में प्रकाशित इस संग्रह में विशेष रूप से जीवन के वे अंश उभरे हैं, जिन्हें रोज़मर्रा के कार्यों में दर-किनार किया जाता रहा है। इसमें स्त्री-विमर्श के कुछ बुनियादी सवाल भी साफ़ नज़र आते हैं, किंतु वे बोल्डनैस, साड़ी-जंफर उतारवाद या उन्मुक्त भोग के पीछे भागते स्त्री-विमर्श से कोसों दूर हैं। इसमें संकलित आठ कहानियाँ– ‘ बंजर ज़मीन ’ , ‘ खटका ’ , ‘ तीस साल की लड़की ’ , ‘ अंधेरे की कोई शक्ल नहीं होती ’ , ‘ बड़ी हो रही है मीताली ’ , ‘ सुधा बस सुन रही थी ’ , ‘ वह उड़ती थी तो ति...

बकरी पाती खाती है ताकि काढि खाल, जो जन बकरी खात हैं, ताको कौन हवाल

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समकालीन हिंदी कथा-साहित्य में अपना विशिष्ट स्थान बना चुके सत्यनारायण पटेल हाशिये पर धकेली जा रही मानवीय अस्मिता के पैरोकार हैं। सजह ढंग से अपनी कथा को किस्सों में पिरोकर प्रकट करना इनकी अपनी विशिष्ट शैली है। अपने कहानी लेखन के विषय में एक साक्षात्कार में इन्होंने स्वयं कहा था, “ मैंने देहात की दुर्दशा और कठिनाइयों को बेहद नजदीक से देखा है। इसी ने मुझे कहानीकार बनने को विवश कर दिया था। सच कहूं तो आधुनिकता के बावजूद देहात अब भी दुर्भाग्य की बस्तियाँ मानी जाती हैं और वहाँ पैदा हुए इंसान को दुर्भाग्य की संतान। ” [1] देहात की स्मृति के किस्से ही इनकी कहानियों के कथानक बनकर सामने आए हैं। अन्योक्ति शैली में व्यग्य की बेजोड़ ताकत लिए इधर इनका नया काहनी-संग्रह ‘ काफ़िर बिजूका उर्फ इब्लिस ’ अपनी अनुठी संवदनाओं के कारण खूब चर्चित हो रहा है। रोहिणी अग्रवाल की मानें तो इस कहानी-संग्रह में “ लेखक ने कहानी दर कहानी पाठक से अपने वक्त को नई आँख से देखने और नई तरकीब के साथ गढ़ने की अपील की है। ” [2] जादुई यथार्थवाद का पुट लिए कुल 6 कहानियों से युक्त यह संग्रह समसामयिक विमर्शों को फिर से खंगालने के ...